
आर पी डब्लू न्यूज़/राजीव मेहता
यमुनानगर, 14 मई:- यमुनानगर जगाधरी के दुर्गा गार्डन की 55 वर्षीय मीरा देवी ने अपनी किडनी अपने बीमार बेटे को देखकर उसकी जान बचाई है।मीरा देवी जगाधरी की दुर्गा गार्डन की रहने वाली है और उसने अपने जिस बेटे की जान बचाई है।उसका नाम सागर है। उसकी उम्र 35 वर्ष है। मीरा देवी जगाधरी के एचडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में चपरासी के पद पर काम करती है। इस स्कूल में उसे काम करते हुए 35 वर्ष हो गए हैं। उसका बेटा सागर घरों में गैस सिलेंडर सप्लाई का काम करता है। सागर 2019 में 1 दिन अचानक सागर को उल्टी लगने की शिकायत हुई।आनन-फानन में परिवार के लोगों ने उसे प्राइवेट अस्पताल में दिखाया।जहां पर उसकी बीमारी का कुछ समझ नहीं आया उसके बाद उन्होंने यमुनानगर और विकास जी के सिविल अस्पताल में सागर का इलाज करवाया लेकिन जब सागर की उल्टी लगने की समस्या समझ नहीं आई तो उन्होंने पीजीआई के डॉक्टर से उसका चेकअप कराया तो उन्हें पता लगा कि उसके शरीर की एक किडनी खराब हो चुकी है। प्राइवेट अस्पतालों में किडनी बदलने का खर्चा 15 से 20 लाख रुपया था लेकिन उन्होंने चंडीगढ़ पीजीआई में उसका इलाज करवाने की ठानी तो वहां पर भी उसका खर्चा 4 से 500000 बताया गया किडनी बदले जाने को लेकर परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा क्योंकि परिवार इतना सक्षम नहीं था कि अपने बेटे की किडनी बदलवाने का खर्चा उठा सकें। जब डॉक्टरों ने कहा कि अगर जल्द ही उसकी किडनी नहीं बदल पाई गई तो उसकी जान कभी भी जा सकती है ।जब डॉक्टरों ने उसकी मां मीराबाई को कहा कि आप अगर चाहे तो आपके बेटे की जान बच सकती है। आपको अपने शरीर की किडनी सागर को देनी होग पहले तो मां भ्रमित हो गई कि वह अगर अपने बेटे को अपनी किडनी देगी दे देगी तो वह काम कैसे कर पाएगी और उनके परिवार का खर्च कैसे चलेगा ।उसने अपने बहू का सुहाग बचाने के लिए आखिर दिल दृढ़ निश्चय किया कि वह अपनी किडनी देकर अपने बच्चे की जान बचाई की इस कार्य के लिए उसकी सहायता के लिए कई सामाजिक संस्था और कुछ दानी सज्जन भी सामने आए और उन्होंने उसकी आर्थिक सहायता करके उनका ऑपरेशन कराकर किडनी डोनेट करने में साथ दिया और आज उसका बेटा सागर एक खुशहाल जीवन जी रहा है।

मीराबाई ने बातचीत में बताया कि उसे 35 वर्ष हो गए हैं ।वह एक निजी स्कूल में चपरासी का काम करती है और अब उसके बेटे की दवाई का खर्चा ₹15000 महीना आता है ।जिसके लिए अब उसके बेटे की बहू भी खून में ही साफ सफाई का काम करके अपने पति की इलाज में सहायता कर रही है। इस तरह से मीरा देवी मानवता की एक नई मिसाल कायम की है। जिसने अपनी जान पर खेलकर अपने 35 वर्षीय बेटे की जान बचा कर उसके पूरे परिवार को बचाया है।