
आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
•भाजपा में टिकट के लिए मच सकती है मारामारी
•रेवाड़ी विधानसभा पर सतीश खोला की गिद्ध दृष्टि ,विधानसभा में 80 हजार लोगों तक बनाई पहुंच ,कर चुके हैं ऐलान, हाईकमान उनके काम को देखते हुए उन्हें ही देगा टिकट
•खोला को दरकिनार करना भाजपा को पड़ सकता है महंगा – पार्टी में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति
•कछुआ चाल से आगे बढ़ रहे हैं सतीश खोला
रेवाड़ी 28 दिसंबर :-विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं। चुनाव लड़ने वाले नए चेहरे भी सामने आने लगे हैं। एक तरफ पुराने खिलाड़ी नेताओं ने अपनी तैयारियों में तेजी करते हुए लोगों से मिलना शुरू कर दिया है। वही नए खिलाड़ी भी फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रहे हैं। राजनीति के पुराने खिलाड़ी अपनी टिकट पक्की मानकर काम कर रहे हैं, वही नए खिलाड़ी भी अभी से अपनी बिसात बिछानी शुरु कर चुके हैं। नए खिलाड़ियों में सतीश खोला, मुकेश कपड़ीवास, प्रशांत उर्फ सनी, डॉ अरविंद सहित अनेक नए खिलाड़ी अभी से जनता के बीच जाने लगे हैं। हम बात कर लेते हैं सतीश खोला की, सतीश खोला गत विधानसभा चुनाव के बाद से ही अपनी तैयारियों को धार देना शुरू कर चुके हैं। सेवा प्रकोष्ठ के माध्यम से वह लगातार विधानसभा के करीब 80 हजार परिवारों से सीधा संवाद स्थापित कर चुके हैं। सेक्टर-1में स्थित अपने कार्यालय में 2 दिन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए उनकी सहायता करते हैं। जो परिवार सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए विभिन्न विभागों में धक्के खाने को मजबूर है उन्हीं लोगों को सतीश खोला अपने कार्यालय में बुलाकर लोगों की सहायता करते हैं। प्रदेश के मुखिया ने सबसे पहले उन्हें जिला स्तर की जिम्मेदारी दी लेकिन उसके बाद उनके उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए उन्हें प्रदेश स्तर पर जिम्मेदारी दी गई। उनके कार्य को देखते हुए प्रदेश स्तर पर सेवा प्रकोष्ठ का नया पद बनाया गया। सतीश खोला लगातार सेवा प्रकोष्ठ के माध्यम से विधानसभा के लोगों से लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। यही कारण है कि लगातार लोगों से संपर्क करने के बाद वह अगला चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। वह कह चुके हैं कि सबसे पहले तो भाजपा हाईकमान को उनके कार्य को देखते हुए खुद ही टिकट का ऑफर करना चाहिए अगर ऐसा नहीं होता है तो टिकट लेने के लिए पूरा प्रयास करेंगे अगर ऐसा होता है तो अगले चुनाव में भाजपा के लिए फिर से विकट स्थिति पैदा हो सकती है। गत विधानसभा चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी के सामने भाजपा के ही पूर्व विधायक बागी रूप में खड़े हो गए थे। यही कारण था कि प्रधानमंत्री की रैली के बावजूद भाजपा प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ा था। इस बार भी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कई प्रत्याशी अभी से अपनी चुनाव की तैयारियां शुरू कर चुके हैं। जिस तरह से लगातार सतीश खोला अपनी धार को पैनी कर रहे हैं वह कहीं ना कहीं अन्य प्रत्याशियों के लिए खतरे की घंटी बन सकते हैं।