
पंचकूला — भारत देश की सबसे लोकप्रिय पार्टी कांग्रेस को पंजाब में विधानसभा चुनाव 2022 में अपने पुराने नेताओं व कार्यकर्ताओं की अनदेखी का खमियाजा भुगतना होगा । यह बात अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार ऑब्जर्वर्स के अंतरराष्ट्रीय निदेशक यतीश शर्मा ने एक प्रेसविज्ञप्ति जारी करते हुए कही । उन्होंने कहा कि पिछले 1 वर्ष से जो पंजाब में कांग्रेस पार्टी की नोटनकी चल रही थी उसे पंजाब की जनता देख कर हैरान हो गई । जिस नेता ने भरी सभा के कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गांधी व महासचिव राहुल गांधी व अन्य नेताओं के लिये भरी सभा में उल्टा सीधा बोल उन्हें बदनाम किया कि वो आज कांग्रेस का इतना चहेता बन गया कि जिसके कारण पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के परममित्र व पंजाब के चहेता महाराजा अमरेंद्र सिंह को अपनी मुख्यमंत्री पद की कुर्सी से त्यागपत्र देना पड़ा क्योंकि उन्होंने कांग्रेस हाईकमान को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने उनकी नही सूनी । ऐसे में अपने प्रदेश की आवाम के लिये उन्होंने अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी से त्यागपत्र दे दिया । महाराजा अमरेंद्र सिंह खुद एक महाराज हैं और राजघराने से सम्बंध रखते हैं । ऐसे में उन्हें अपनी आवाम की चिंता पहले थी सत्ता की कुर्सी की नही । यतीश शर्मा ने कहा कांग्रेस पार्टी ने महाराजा अमरेंद्र सिंह के त्यागपत्र के बाद प्रदेश में जातपात को बढ़ावा देने की साजिश करते हुए प्रदेश में पगधारी को ही पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने की बात को बढ़ावा दिया । जोकि पंजाब के वरिष्ठ हिन्दू कांग्रेसी नेताओं के लिये शर्मनाक बात साबित हुई । फिर पूर्व कांग्रेसी नेताओं व हल्का निवासियों को टिकट देने की जगह नये लोगो को कांग्रेस पार्टी में शामिल कर पुराने नेताओ की अनदेखी की । पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में त्तो यह बात स्पष्ट नजर आती है कि कांग्रेस पार्टी विपक्ष में बैठने के लिये भी जगह बना ले तो बहुत बड़ी बात होगी । क्योंकि पंजाब की जनता कांग्रेस की नीतियों को भलीभांति समझ चुकी है । और आने वाले 10 वर्षों तक पंजाब में कांग्रेस पार्टी विपक्ष की भूमिका में ही नजर आए ये ही उसके आज के हालात बोलते हैं ।