
जाट की झोटे से तुलना करने पर बुरे फंसे गुरनाम सिंह चढूनी,
किसान नेता से राजनेता बने चढूनी ने जाट समुदाय पर फोड़ा अपनी हार का ठीकरा
कहा, जाट और झोटा अपनों को मारते हैं
जाट समाज का आह्वान- चढूनी को गांव में न घुसने दें युवा
पंजाब 14 मार्च
– किसान नेता से राजनेता बने गुरनाम सिंह चढूनी का मिशन पंजाब बुरी तरह से फेल होने पर उन्होंने हार का ठीकरा जाट समुदाय पर फोड़ा है और जाट समुदाय पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं, जिससे समुदाय में भारी रोष है. वहीं जाट समाज ने उग्र रूप अपनाते हुए खासकर युवाओं से गुरनाम सिंह चढूनी का विरोध करने और गांवों में न घुसने देने व वहां से खदेड़ने का एलान और आह्वान किया है. आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के बाद चढूनी बुरी तरह से फंस गए हैं. गौरतलब है कि चढूनी की अतिमहत्वाकांक्षा ने किसान आंदोलन को भी कई बार दोफाड़ करने का काम किया था, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा की सूझबूझ व संयम से आंदोलन चलता रहा.
पत्रकारों से बात करते हुए गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों व मतदाताओं पर भी जमकर भड़ास निकाली. उन्होंने जाट समुदाय पर आपत्तिजनक टिप्पणियों की बौछार लगा दी व हार का कारण जाट समाज को बताया. जाट समाज की झोटे से तुलना करते हुए कहा कि जाट व झोटा अपनों को ही मारते हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भाड़ में जाए जनता, मैने उनका ठेका नहीं ले रखा. चढूनी यहीं नहीं रुके, उन्होंने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की सभी आठों सीटों से भाजपा की जीत पर वहां की जनता को भी आड़े हाथों लिया. जनादेश को अस्वीकार करते हुए कहा कि वहां की जनता डूब कर मर जाए. संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा पंजाब में चुनाव न लड़ने की हिदायत पर कहा कि न किसी ने कहा, न मानता और न डरता. लगातार साथ छोड़ कर जा रहे किसान नेताओं व साथियों पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी. कहा कि जिसे छोड़कर जाना है जाए, वापस आना है आए, मैं वापस बुलाने के लिए किसी के तलवे नहीं चाटूंगा.
चढूनी द्वारा जाट समाज की झोटे से तुलना पर टोल प्लाजा संघर्ष समिति के रणवीर चहल, अरविंद सांगवान, कपिल धनखड़, रविंद्र कादियान, पवन दहिया व पाले राम गोदारा ने हार की बौखलाहट करार देते हुए इस पर करारा जवाब देने की चेतावनी व खासकर युवाओं से चढूनी को देखते ही विरोध कर खदेड़ने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि भविष्य में चढूनी के साथ यदि कोई घटना घटती है तो उसके जिम्मेदार स्वयं चढूनी ही होंगे, क्योंकि उन्होंने जाट समुदाय को नीचा साबित करने का काम किया है, जबकि जाट समाज ने चढूनी को सिर-माथे पर बैठाकर भरपूर समर्थन व सम्मान दिया. इतना ही नहीं किसान आंदोलन के दौरान चढूनी को चंदा दिया. चढूनी के मन में जाट समुदाय के प्रति जहर भरा हुआ है. समिति ने जाट समाज से गुरनाम सिंह चढूनी के कार्यक्रमों से दूर रहने को भी कहा है. कहना है कि वह समाज का दुश्मन है. समिति ने कहा कि जाट समाज से चौधरी छोटूराम जैसे किसान मसीहा हुए, बावजूद इसके चढूनी बोल रहे हैं कि जाट व झौटा अपनों को मारते हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलन में सबसे ज्यादा भागीदारी व शहादत जाट समाज की रही, बावजूद इसके गुरनाम चढूनी उनकी तुलना पशुओं से कर रहा है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा व मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.